चित्र-- राजीव मिश्र |
कू कू करती
धुआं उड़ाती
चलती जाती रेलगाड़ी।
झंडी लाल दिखे
जैसे ही
रुक जाती है रेलगाड़ी
झंडी हरी देख के भैया
फ़िर चल पड़ती रेलगाड़ी।
अपनी पटरी पर
ही चलती
नहीं भागती
इधर उधर
मीलों दूरी तै करके भी
थकती नहीं है रेल गाड़ी।
कू कू करती
धुआं उड़ाती
चलती जाती रेलगाड़ी।
000
हेमन्त कुमार
zindagi se railgadi ka jeevan bahut milta hai ..!!
जवाब देंहटाएंsunder rachna ...!!
बहुत सुंदर कविता वाह वाह वाह ......
जवाब देंहटाएंसुन्दर बाल कविता
जवाब देंहटाएंउत्तम रचना..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया.... अच्छी बाल कविता....
जवाब देंहटाएंकू कू करती
जवाब देंहटाएंधुआं उड़ाती
चलती जाती रेल।
झंडी लाल दिखे जैसे ही
रुक जाती है रेल
और देख कर हरी को भैया
फ़िर चल पड़ती रेल।
अपनी ही पटरी पर चलती
नहीं भागती
इधर उधर
मीलों दूरी तै करके भी
थकती नहीं है रेल।
कू कू करती
धुआं उड़ाती
चलती जाती रेल।
मेरे ब्लॉग पर आकर टिप्पणी देकर प्रोत्साहित करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया! मेरी शायरी और कविता के ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना! मैं तो अपने बचपन के दिनों को याद करने लगी!
प्यारी बाल कविता
जवाब देंहटाएंSundar balgeet....
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना और बच्चों के लिए अच्छा ब्लॉग
जवाब देंहटाएंरोचक . मनभावन .बाल कविता . प्रस्तुति बहुत सुंदर . मेरी शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंचूहेमल का देखो खेल
हेमंत जी सुन्दर बाल कविता मन कहता है मै भी घूमूँ छुक छुक छुक छुक रेलगाड़ी -अशोक दादा जी का गाना रेलगाड़ी रेलगाड़ी याद करा दिया आप ने
जवाब देंहटाएंशुक्ल भ्रमर५
अच्छी व सार्थक फुलबगिया है...
जवाब देंहटाएंlove the train,
जवाब देंहटाएंwhat a fun post.
bless you, my friend.
sach main aapne bachpan ke din yaad dila diya... kash phir se bachpan laut aata...
जवाब देंहटाएंमान्यवर , फुलबगिया पर कुछ नया पढने की उत्सुकता है .
जवाब देंहटाएंनीले आसमान पर छा,
आपकी किसी पोस्ट की चर्चा होगी कल शनिवार (१६ -०७-११)को नयी-पुराणी हलचल पर |कृपया आयें और अपने सुझाव दें....!!
जवाब देंहटाएंbahut achi rachna, badhaai!
जवाब देंहटाएंrelagadi relagadi...maja aa gaya aaj to
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