मंगलवार, 31 दिसंबर 2013

नए साल की नई कहानी

पर्वत -सागर -माटी - पानी
नए साल की  रचो- कहानी ।

खेत हमे दें अन्न ढ़ेर सा
जल से भरें हो पोखर- ताल ।
बाग- बगीचे हरे भरें हों ,
फूलों की  सुरभित जयमाल ।
कोयल गाये गीत ख़ुशी के ,
लगे प्रकृति की  रानी ।
नए साल की  नई कहानी ।

 
नदियां दें  सन्देश सृजन  का
चलते रहना आठों याम
अमृत बरसे बदल बनकर
इंद्रधनुष सी होवे शाम।
हर दिन कथा -कहानी लेकर
आये प्यारी नानी ।
नये साल की सुनो कहानी।

सारा जग अपने घर जैसा
बैर भाव का रहे ना  नाम
 
मिल-  जुल कर दुनिया को बदलें
कठिन नहीं है कोई काम ।
आशा -नव उल्लास बिखेरो
बन जाये हर डगर सुहानी
नए साल की बनो कहानी । ।
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कौशल
  पाण्डेय 
सहायक निदेशक 
आकाशवाणी
गोरखपुर -253001
mob -09389462070


3 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार (01-01-2014) को हों हर्षित तन-प्राण, वर्ष हो अच्छा-खासा : चर्चा मंच 1479 में "मयंक का कोना" पर भी है!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    ईस्वी नववर्ष-2014 की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. हो जग का कल्याण, पूर्ण हो जन-गण आसा |
    हों हर्षित तन-प्राण, वर्ष हो अच्छा-खासा ||

    शुभकामनायें आदरणीय

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  3. रोंप खुशियों की कोंपलें
    सदभावना की भरें उजास
    शुभकामनाओं से कर आगाज़
    नववर्ष 2014 में भरें मिठास

    नववर्ष 2014 आपके और आपके परिवार के लिये मंगलमय हो ,सुखकारी हो , आल्हादकारी हो

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