पर्वत -सागर -माटी - पानी
नए साल की रचो- कहानी ।
खेत हमे दें अन्न ढ़ेर सा
खेत हमे दें अन्न ढ़ेर सा
जल से भरें हो पोखर- ताल ।
बाग- बगीचे हरे भरें हों ,
बाग- बगीचे हरे भरें हों ,
फूलों की सुरभित जयमाल ।
कोयल गाये गीत ख़ुशी के ,
लगे प्रकृति की रानी ।
नए साल की नई कहानी ।
नए साल की नई कहानी ।
नदियां दें सन्देश सृजन का
चलते रहना आठों याम
अमृत बरसे बदल बनकर
इंद्रधनुष सी होवे शाम।
हर दिन कथा -कहानी लेकर
आये प्यारी नानी ।
नये साल की सुनो कहानी।
सारा जग अपने घर जैसा
बैर भाव का रहे ना नाम
मिल- जुल कर दुनिया को बदलें
मिल- जुल कर दुनिया को बदलें
कठिन नहीं है कोई काम ।
आशा -नव उल्लास बिखेरो
बन जाये हर डगर सुहानी
नए साल की बनो कहानी । ।
0000
सहायक निदेशक
आकाशवाणी
गोरखपुर -253001
mob -09389462070
e mail - kaushalpandey.@1956gmail.com
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार (01-01-2014) को हों हर्षित तन-प्राण, वर्ष हो अच्छा-खासा : चर्चा मंच 1479 में "मयंक का कोना" पर भी है!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
ईस्वी नववर्ष-2014 की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
हो जग का कल्याण, पूर्ण हो जन-गण आसा |
जवाब देंहटाएंहों हर्षित तन-प्राण, वर्ष हो अच्छा-खासा ||
शुभकामनायें आदरणीय
रोंप खुशियों की कोंपलें
जवाब देंहटाएंसदभावना की भरें उजास
शुभकामनाओं से कर आगाज़
नववर्ष 2014 में भरें मिठास
नववर्ष 2014 आपके और आपके परिवार के लिये मंगलमय हो ,सुखकारी हो , आल्हादकारी हो