दृश्य—5
(उसी पार्क का दृश्य।लड़का-1,लड़का-2,और लड़की-1 किनारे बेंच पर उदास बैठे हैं।मंच के दूसरे किनारे(पार्क के दूसरे कोने)पर परी के साथ काली सलमा दीनू खेल रहे हैं।उनके खेलने की आवाज इन
बच्चों के पास आ रही जिससे इन बच्चों को झुंझलाहट हो रही है।लड़का-1
उठ कर तेजी से टहलने लगता है।कभी अपने कान बंद करता है कभी गुस्से में एक हाथ की मुट्ठी दुसरे हाथ पर
पटकता है।)
लड़का-1:
उफ़ ये आवाजें ------।
लड़का-2: हुंह कितने मजे
से खेल रहे सब।और हम यहाँ पागलों की तरह बैठे हैं।
लड़की-1: तो क्या करें
हम?हमारे सारे दोस्त एक-एक कर गरमी की छुट्टियाँ मनाने चले गए।
लड़का-1: (गुस्से में चीख
कर)अब हम खेलें भी तो किसके साथ?मन कर रहा जाकर सबको पीट दूँ.... ।
(लड़का एक टहलते
टहलते अचानक रुक जाता है)
लड़का-1: (ख़ुशी से)वो मारा
पापड़ वाले को... ।
लड़का-2: अबे हुआ क्या?
लड़का-1: (उछल कर)आइडिया
ग्रेट आइडिया ---।
लड़का-2: अरे कुछ बकेगा भी—या यूं ही गधे की
तरह उछलता रहेगा?
(लड़का-1गुस्से से
झपट कर लड़का-2 का कालर पकड़ लेता है।)
लड़का-1: क्या तूने मुझे
गधा कहा?अभी बताता हूँ तुझे।
(लड़की-1 दौड़ कर
दोनों को अलग करती है)
लड़की-1: यार तुम लोग बहुत
जल्दी लड़ने लगते हो... ।
लड़का-2: चल भाई माफ़ कर दे
अब बता तो सही क्या आइडिया दे रिया था तू?
लड़का-1: (खेल रहे दीनू की
ओर इशारा करके)क्यूँ न हम भी उन सबके साथ चल कर खेलें?
लड़की-1: हुंह---उन गंदे
बच्चों के साथ?
लड़का-1: अरे समझा करो यार
--वक्त आने पर गधों को भी बाप बनाना पड़ता है.. ।
लड़का-2: फिर कौन हम हमेशा
उनके साथ खेलेंगे? हमारे दोस्त जैसे ही वापस आयेंगे हम फिर उन सबके साथ खेलने लगेंगे।
लड़की-1: (कुछ सोचते
हुए)और अगर उन्होंने हमें न खिलाया अपने साथ तो?डांटने लगे तो?
लड़का-1: हुंह उनकी ये
मजाल?
लड़की-1: क्यूँ तुमने
उन्हें डांट कर नहीं भगाया था?गंदे बच्चे,झोपड़पट्टी के बच्चे कह कर?
लड़का-1: हूँ ---बात तो
तेरी सही है... ।
(तीनों फिर से
सोचने की मुद्रा में टहलने लगते हैं।उसी समय वहां भूतराजा आते हैं।)
भूतराजा: तुम लोग बेकार डर
रहे हो बच्चों?वो बच्चे ऐसे नहीं हैं न ही परी दीदी।
लड़का-1: पर आपको कैसे पता
कि हम उनके बारे में बात कर रहे?
भूतराजा: (हँसते हुए)मुझे
सब पता है–मैं तुम सबके बारे में जनता हूँ और उनके बारे में भी।
(तीनों बच्चे
आश्चर्य से उनकी तरफ देखते हैं।)
भूतराजा: (आँख बंद
करके)देखो तुम्हे खेलना है तो मेरी बात पर विश्वास करना होगा।आगे तुम्हारी मर्जी।---मैं चला।
(तीनों बच्चे एक
दूसरे की तरफ देख कर इशारों में बातें करते हैं)
लड़की-1: ठीक है ठीक है हम
आपके साथ चलेंगे।
(तीनों बच्चे
भूतराजा के साथ मंच के दूसरी तरफ जाते हैं।)
दृश्य-6
(पार्क का दूसरा कोना।परी दीदी के साथ काली,दीनू, सलमा,मल्लिका और दूसरे बच्चे खेल रहे हैं।भूतराजा तीनों बच्चों के साथ आते हैं।परी खेल रोक कर उन बच्चों के पास आती हैं और भूतराजा से पूछती हैं।)
परी: ये बच्चे कौन हैं
भूतराजा?
भूतराजा: ये भी पार्क में
खेलने वाले ही बच्चे हैं।
(उन बच्चों के पास दीनू,काली और सलमा अन्य बच्चों के साथ आते हैं।उन बच्चों को यहाँ देख कर लड़का-1 और लड़की-1 थोडा सहम जाते हैं।)
परी: (लड़की-1से) अरे
तुम लोग इतना डर क्यूँ रहे हो?
लड़का-1: दीदी आप जिन
बच्चों के साथ खेल रही हैं उन्हें हमने ही डांट कर भगाया था।
काली: (मुस्कराकर) अरे
भैया हम लोग तो उस बात को भूल भी चुके हैं।
परी: कोई बात नहीं—खेल में तो ये सब
होता ही है।
लड़का-1: (खुश होकर)तो
क्या आप हमें भी रोज इनके साथ खेल खिलायेंगी?
परी: हाँ हाँ क्यूँ
नहीं?
सलमा: (हंसकर)परी दीदी तो
बहुत अच्छी हैं।वो रोज हम सबके साथ खेलती भी हैं और गाना भी गाती हैं।
(लड़का-1,लड़का-2,लड़की-1
सभी के चेहरों पर खुशी)
परी: आज से तुम सभी
आपस में दोस्त हो गए ---चलो हम सब मिलकर खेल खेलते हैं।
सारे बच्चे: हाँ दीदी।
परी: पर कौन सा खेल?
लड़का-1: छुपम छुपाई।
लड़का-2: ना ना चोर सिपाही।
लड़की-1: नहीं नहीं रे
---कोई नाच गाने वाला।
सलमा: हाँ दीदी,वो गाना
आप जो कल गा रही थीं----खुशियों के गांव वाला।
परी: अच्छा चलो वही
खेलते हैं।पर सब बच्चे मेरे साथ साथ गायेंगे और नाचेंगे।
(परी गाना शुरू
करती है।सारे बच्चे उसे दुहराते हैं और परी के साथ नाचते भी हैं।)
परी: ये खुशियों का गांव अनोखा
यहाँ न कोई बड़ा न छोटा।
बच्चे: ये खुशियों का
गांव अनोखा
यहाँ न कोई बड़ा न छोटा।
परी: सारे बच्चे एक बराबर
अमीर ना कोई गरीब यहाँ है।
बच्चे: ये खुशियों का गांव अनोखा
अमीर ना कोई गरीब यहाँ है।
परी: सबके कपडे सुन्दर प्यारे
फूलों सा हंसते सब प्यारे
ये खुशियों का गाँव अनोखा
यहाँ न कोई बड़ा न छोटा।
बच्चे: ये खुशियों का
गांव अनोखा
यहाँ न कोई बड़ा न छोटा।
(सारे बच्चे परी के साथ गीत दुहराते हैं साथ ही नाचते भी हैं।धीरे धीरे
संगीत धीमा होता जाता है और दृश्य फेड आउट होता है।)
०००००
डा० हेमंत कुमार
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (19-07-2017) को "ब्लॉगरों की खबरें" (चर्चा अंक 2671) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'