इनाम
लेखिका--मोनिका
अग्रवाल
एक दिन सब बच्चे लाइब्रेरी में अपनी-अपनी पसंद की किताबें
पढ़ रहे थे।लाइब्रेरी की नई टीचर देख राम ने सोचा,"मैं इन्हें अब नाराज नहीं होने दूंगा।“ तभी प्रिंसिपल मैडम ने नई लाइब्रेरियन को बुला लिया।लाइब्रेरी मैम के जाते ही बच्चे, बाल से खेलने लगे।एक बच्चा राम से बोला,"आओ बाल से खेलते हैं।अभी थोड़ी देर में ही ब्रेक हो जाएगी ।मैम को पता भी नहीं लगेगा।“
राम ने सोचा," इसमें भला क्या बुराई है ? चलो एक बार खेल लेता हूं।“राम के दोस्त ने उसकी तरफ बाल
फेंकी।बाल राम के
हाथ में आने की जगह सीधे जाकर खिड़की पर लगी।बहुत तेज आवाज हुयी ---छन्नाक।खिड़की का शीशा टूट गया।कांच टूटने की आवाज से लाइब्रेरी
मैम भाग कर आई।टूटे शीशे पर निगाह जाते ही वो सन्न रह गयीं।सारे बच्चे भी सहमे खड़े थे।
लेखिका--मोनिका अग्रवाल
मैं कंप्यूटर से स्नातकोत्तर हूं।मुझे अपने जीवन के अनुभवों को कलमबद्ध करने का जुनून सा है जो मेरे हौंसलों को उड़ान देता है।मैंने कुछ वर्ष पूर्व टी वी व सिनेमाहाल के लिए 3 विज्ञापन और गृहशोभा के योगा विशेषांक के लिए फोटो शूट में भी काम किया है।मेरी कविताएँ वर्तमान अंकुर, हमारा पूर्वांचल में प्रकाशित हुई हैं।वेब पत्रिका "हस्ताक्षर" में भी मेरी कविताओं को स्थान मिला है।साथ ही अमर उजाला, रूपायन,गृहशोभा में मेरी कुछ कहानियों और रचनाओं को भी जगह मिली है।
मैं कंप्यूटर से स्नातकोत्तर हूं।मुझे अपने जीवन के अनुभवों को कलमबद्ध करने का जुनून सा है जो मेरे हौंसलों को उड़ान देता है।मैंने कुछ वर्ष पूर्व टी वी व सिनेमाहाल के लिए 3 विज्ञापन और गृहशोभा के योगा विशेषांक के लिए फोटो शूट में भी काम किया है।मेरी कविताएँ वर्तमान अंकुर, हमारा पूर्वांचल में प्रकाशित हुई हैं।वेब पत्रिका "हस्ताक्षर" में भी मेरी कविताओं को स्थान मिला है।साथ ही अमर उजाला, रूपायन,गृहशोभा में मेरी कुछ कहानियों और रचनाओं को भी जगह मिली है।
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ’राष्ट्रकवि का जन्मदिन और ब्लॉग बुलेटिन’ में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
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