गुरुवार, 10 अगस्त 2017

लालच की सजा

लालच की सजा
(तिब्बत की लोक कथा पर आधारित)
पात्र-
नट
नटी
राजा
मंत्री
दरबारी
काना बैल (पहरेदार)
मछुआ
मछुआरिन
कुछ सैनिक।
(दृश्य-1)
(नक्कारे की आवाज और संगीत के साथ मंच पर एक तरफ से एक नट और दूसरी तरफ से  नटी नाचते हुए आते हैं।दोनों मंच के बीचो बीच रूक जाते हैं थोड़ी देर तक संगीत की धुन पर थिरकते रहते हैं  फिर  गाते हैं।)
नट(गाता है)       तिब्बत नाम का राज्य एक था
                             राजा उसका बूढ़ा था
                             राजा बूढ़ा था बच्चों पर
                             जीभ का बड़ा चटोरा था।
 नटी(गाती है)     रोज बिना मछली के भोजन
                             उसे अच्छा लगता था
                            रोज नई मछली की इच्छा
                            बच्चो राजा रखता था।
 नट(गाता है)      
             एक बार की बात है बच्चों
                          उसके राज्य में पड़ा अकाल
                          सूख गयी सब नदियां नाले
                          मचा जोर का हाहाकार।
 नटी(गाती है)     
             बिन पानी के मछली बच्चों
                          कहां से राजा को मिल पाती
                          चिन्तित होकर बैठा था वह
                          घेरे थे उसके सब साथी।
(दोनों मंच पर से नाचते हुए जाते हैं।दृश्य परिवर्तन)
(दृश्य-2)
(राजा का दरबार।बूढ़ा राजा चिन्तित हो कर बैठा है। उसके मंत्री एवं दरबारी उसे घेरे हैं।मंत्री आगे बढ़ कर राजा का अभिवादन करता है और उससे पूछता है।)
मंत्री--   महाराज की जै हो। महाराज, आज आप इतने चिन्तित और उदास हो कर क्यों बैठे हैं?
राजा--   मंत्री जी , बात ही कुछ ऐसी है।आप देख ही रहे हैं कि पूरे राज्य में इस समय कैसा अकाल पड़ गया है।मैं राज्य की तमाम समस्याओं में इस समय वैसे ही काफी उलझा हुआ हूं।अब ऐसे  समय में मुझे मछली भी खाने  को नहीं मिल रही है।आप ही सोचिए कि मेरे स्वास्थ्य का क्या हाल होगा ?मैं कैसे राज काज देख सकूँगा?
मंत्री--   महाराज झरनों, तालाबों के सूख जाने एवं नदियों में पानी कम हो जाने से सारी मछलियां मरती जा रही हैं इसलिए...
राजा--  (मंत्री को डांट कर) चुप रहो मंत्री जी,.... मैं यह सब बकवास नहीं सुनना चाहता।राज्य के तालाब झरने सूखें  या पानी से भरे रहें मुझे कहीं से भी मछलियां मंगा कर दो।मैं मछली खाए बिना एक दिन भी जिन्दा नहीं रह पाऊंगा।
(सभी दरबारी एवं मंत्री चुप रहते हैं।राजा उठ कर चिंता से इधर उधर टहलने लगता है,उसके पीछे पीछे मंत्री भी टहलता है।राजा एक जगह रुक जाता है तो मंत्री भी रुक जाता है लेकिन उसके टहलना शुरू करते ही राजा फिर टहलने लगता है।)
राजाकहाँ से और कैसे मिलेंगी मुझे मछलियाँ?कैसे चलेगा मेरा जीवन मछली के बिना?
(कुछ सोच कर राजा के चेहरे पर चमक जाती है।वह मंत्री की तरफ मुड़ता है मंत्री आगे बढ़ कर जल्दी जल्दी उसके कंधे दबाने लगता है)
राजा बंद करो मंत्री ये चापलूसी मेरे दिमाग में एक विचार आया है।
मंत्री कौन सा विचार महाराज?
राजा(कुछ सोचकर)  सुनो मंत्री जी  पूरे राज्य में आज ही यह घोषणा करवा दो कि मुझे जो व्यक्ति मछली लाकर देगा उसे ढेर सारा इनाम दिया जाएगा।

मंत्री-- जैसी आज्ञा महाराज, मैं आज ही पूरे राज्य में इस बात की घोषणा करवा दूंगा
                                 ०००० 
डा०हेमंत कुमार 
                             (क्रमशः)

3 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (12-08-2017) को "'धान खेत में लहराते" " (चर्चा अंक 2694) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, देश के तेरहवें उपराष्ट्रपति बने एम वेंकैया नायडू “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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