बुद्धि बड़ी या शेर
(पंचतंत्र की
कहानी “चतुर खरगोश और शेर”पर आधारित कठपुतली
नाटक )
लेखक:डा०हेमन्त
कुमार
पात्र :
1-नट-नटी
2-सोनू शेर
3-पिंकू खरगोश
4-बन्दर मस्त
कलंदर
5-भालू एवं कुछ
अन्य जंगली जानवर
(दृश्य-1)
(प्रारंभिक संगीत के साथ ही पपेट मंच पर प्रकाश।नट नटी का
संगीत की धुन पर थिरकते हुए प्रवेश।दोनों संगीत की धुन पर कुछ देर थिरकते रहते हैं
फिर बीच में रुक कर गाते हैं।
नटी : (गाती है)
एक घना जंगल था
बच्चों
राजा वहां का
सोनू शेर
मोटा तगड़ा और
फुर्तीला
राजा था सबका सोनू शेर।
नट : (गाता है)
ना कोई झगडा ना
कोई झंझट
ना ही किसी पे कोई
संकट
हर झगड़े संकट हल
कर देता
यूँ चुटकी बजा के
सोनू शेर।
नटी : (गाती है)
दोस्तों का था
दोस्त निराला
दुष्टों पे आफत का
परकाला
नहीं किसी के गलत
काम को
माफ़ी देता सोनू
शेर।
(नट नाटी गाते गाते रुक जाते हैं।दोनों एक दूसरे की तरफ
देखते हैं।)
नट :(दुखी स्वरों में)लेकिन इस जंगल में सारी खुशियों के साथ ही
एक बड़ी मुसीबज़ भी थी।
नटी: (दुखी स्वर में) सोनू शेर अपनी भूख मिटाने के लिए जंगल में
घूम घूम कर कई जानवरों को मार
देता।जबकि खाता वो एक को ही था।
नट: जंगल के सभी जानवर चिंतित हो गए।उन्होंने सोचा इस तरह तो सब
मारे जायेंगे।
नटी:और अंत में सबने मिलकर सोनू शेर से बात करने का फैसला किया।
(दृश्य परिवर्तन)
(दृश्य-2)
(जंगल का एक कोना।सोनू शेर की गुफा।गुफा के सामने चबूतरे पर
बैठा सोनू शेर।उसके सामने हाथ जोड़े खड़े भालू,बन्दर,कुत्ता,भेड़िया और खरगोश।
सोनू एक बार उचक उचक कर सबको देखता है फिर जोर से दहाड़ता है। सोनू: (दहाड़ कर)क्या इरादा है तुम लोगों
का?आज अचानक हमारे पास कैसे?क्या धरना देने आये हो तुम लोग?
(सारे जानवर हाथ
जोड़े शांत खड़े रहते हैं।भालू आगे बढ़ कर बोलता है।) भालू:(चापलूसी भरे स्वरों
में)नहीं-नहीं महाराज–हमारी क्या औकात जो धरना दें?धरना वरना तो आदमी
लोग देते हैं महाराज जी।
सोनू: (दहाड़ कर)फिर कौन सी मुसीबत आ गयी तुम सब पर जो हमारी शांति
भंग करने चले आये?(सभी जानवरों को देख कर)बोलो बोलो
कुछ तो बोलो।
(सारे जानवर एक दूसरे को देखते हैं और एक दूसरे को आगे
धकेलने की कोशिश करते हैं।)
सोनू:(और गुस्से में दहाड़कर)ये क्या धक्का मुक्की मचा रखी है
यहाँ ?ये मेरा यानि कि महाराज सोनू
का घर है कोई सब्जी मंडी नहीं।
(सभी जानवर हाथ जोड़े खड़े हैं।बन्दर मस्त कलंदर आगे आता है।हवा
में एक दो कलाबाजियां खाता है फिर हाथ जोड़ कर खडा हो जाता है)
बन्दर:मै हूँ बन्दर मस्त कलंदर उछलूं कूदूं डाल डाल पर।सोनू
महाराज हम सब आपसे एक बात कहना चाहते हैं।
सोनू: (हंस कर)बोलो बोलो एक नहीं ..सौ नहीं ..हजार बातें
बोलो...बुद्धिमान बन्दर...मस्त कलंदर।
बन्दर: (डरते हुए)महाराज आप रोज अपने खाने के लिए कई जानवरों को
मार देते हैं।पर खाते सिर्फ एक को ही हैं ।
(सोनू अपना
अगला पंजा हवा में लहराता है फिर गुस्से में दहाड़ता है) सोनू : (दहाड़ कर)तो इससे क्या
दिक्कत है सबको?जंगल हमारा है।मैं यहाँ का राजा फिर मैं चाहे
एक जानवर मारूं या दस?
बन्दर: (चापलूसी भरे स्वर में) जी जी महाराज आप बिलकुल ठीक कह रहे।ये
पूरा जंगल तो आपका
ही है...आप हमारे राजा हम आपकी प्रजा..पर.....
सोनू : (बन्दर की बात काट कर) ये क्या पर ..पर लगा रखी है....साफ़
साफ़ बोल क्या बात है....
बन्दर: (हाथ जोड़ कर)महाराज ...अन्नदाता दिक्कत बस इतनी सी है कि
अगर आप ऐसे ही रोज चार पांच जानवर मारते रहेंगे तो एक
दिन पूरा जंगल खाली हो जाएगा...फिर आपको
खाना कहाँ से मिलेगा?
(सोनू शेर
कुछ सोचता हुआ एक बार उठा कर चबूतरे पर टहलता है फिर पहले की ही तरह
बैठ जाता है)
सोनू: (कुछ सोचता हुआ)हाँ बात तो तेरी ठीक है..रे बन्दर मस्त
कलंदर ...लेकिन कोई उपाय भी सोचा है इसका तूने?
(सारे जानवर फिर से एक दूसरे को आगे धकेलते हैं..फिर उनमें
धक्का मुक्की शुरू हो जाती है।सोनू उन्हें घूर कर देखता है)
सोनू :(झुंझलाकर)क्या हो रहा है ये? ये सब क्या हो रहा क्या हो
रहा भाई?फिर वही धक्का मुक्की?खींचा तानी?
(सारे
जानवर सहम कर खड़े हो जाते हैं)
बन्दर: (मुस्कराने की कोशिश करता हुआ) नहीं..नहीं महाराज सब कुछ
ठीक है यहाँ..बस हम
चाहते हैं कि आप शिकार की तलाश में इधर-उधर न भटकें...
सोनू :(गुस्से में)तो क्या मैं भूखा मर जाऊं?
बन्दर :गुस्सा न हों महाराज।गुस्सा होने से बी पी बढ़ता है..उससे
हार्ट अटैक होता है... हाँ तो हमने
तय किया है कि हम अपने बीच से रोज एक जानवर आपके पास खाने के लिए भेज देंगे।
(सोनू के
चहरे पर खुशी के भाव।वह एक बार अपनी जगह खडा होकर नाचने की कोशिश करता है।फिर
बैठता है।)
सोनू: (ख़ुशी से)ठीक है ..ठीक है ...मुझे तुम सबकी शर्त मंजूर है लेकिन..
। (सारे जानवरों
के चेहरों पर भय..सोनू शेर एक बार सबके चेहरों को देखता है।मुस्कुराता है )
सोनू :(मुस्कराकर)..क्यूँ? हवा खराब हो गई न सबकी लेकिन शब्द
सुनकर?पर तुम लोग घबराओ मत।मैं बस ये कह रहा था कि अगर किसी दिन
मेरे पास जानवर नहीं भेजा गया तो उस दिन मैं जितने जानवर मर्जी
होगी मार कर खाऊँगा।..बोलो मंजूर है
मेरी शर्तिया ?
(सारे जानवर एक दूसरे से सट कर कुछ बात करते हैं।सोनू उनकी
तरफ ध्यान से देख मुस्कुराता है।)
सारे जानवर:जी मंजूर है हमें.. सोनू महाराज
की जय हो .... ।
(सारे
जानवरों का प्रस्थान।सोनू मुस्कराता बैठा रहता है।)
(दृश्य परिवर्तन)
(दृश्य—3)
(मंच पर नाचते हुए नट नटी का प्रवेश।दोनों नाचते हुए आते
हैं।रुक कर गाते हैं।) नटी :
फिर तो रोज एक जानवर
लगा पहुँचने सोनू
के पास।
नट : सभी जानवर सोचा करते
कहीं उनका नंबर
न हो आज।
नटी : उसी घने जंगल में बच्चों
रहता था पिंकू
खरगोश।
नट : छोटा सा नन्हां सा पिंकू
सबसे तेज चतुर
खरगोश ।
नटी : कुछ ही दिनों के बाद में बच्चों
पिंकू की भी
बारी आई।
(पिंकू खरगोश
अपनी बिल के बाहर कुछ सोचता बैठा हुआ)
नट : पिंकू बेचारा हर समय अपनी बिल के बहार बैठा सोचता रहता.....
(गाता है)
कैसे बचूं मैं इस सोनू
से
कैसे इसको मैं
ही मारूं
कैसे सोनू के
चंगुल से
जंगल के जीवों
को बचाऊँ?
नटी : इसी सोच में उछल कूद कर
पिंकू ने कुछ बुद्धि लगाई
उपाय सूझा गया उसको जैसे
उसने ऊंची छलांग लगाई।
(दृश्य परिवर्तन)
(दृश्य-4)
(अपनी गुफा के बाहर गुस्से में टहलता हुआ सोनू।सामने से
बहुत धीमी चाल में डरता छुपता आता हुआ पिंकू खरगोश।पिंकू को देखते ही सोनू जोर से
दहाड़ता है।) सोनू :(दहाड़ कर)
बदतमीज किस मूर्ख ने तुझे भेजा है इतनी देर में?क्या उसे मालूम नहीं कि मैं
भूख से मर रहा हूँ?
पिंकू :(हाथ जोड़ कर कांपता हुआ) महाराज महाराज मेरी बात तो
सुनिए...
(सोनू गुस्से में आगे बढ़ कर पिंकू के दोनों कान
पकड़कर उठा लेता है)
सोनू :(गुस्से में)मुझे कोई बात नहीं सुननी तेरी।मैं पहले तुझे एक
बार खाऊंगा जिससे मेरी कुछ भूख मिटे।फिर मैं तुझे दुबारा खाऊंगा क्योंकि
तूने आने में देर लगायी।फिर तीसरी
बार खाऊंगा क्यूंकि तू एकदम पिद्दी जैसा ही क्यूँ बना?फिर उन सबको खाऊंगा जिन्होंने तुझे यहाँ देर से भेजा।
पिंकू :(गिडगिडाता हुआ)बिलकुल खाइएगा महाराज सबको खाइएगा ..पर एक
बात तो बताइये?
सोनू:पूछ जल्दी पूछ...क्यूंकि मैं तुझे खाने जा रहा।
पिंकू :(कुछ सोचकर) सोनू महाराज ...जब एक बार आप मुझे खा लेंगे तो
फिर दुबारा और तिबारा कैसे खायेंगे?क्योंकि मैं तो आपके पेट
में रहूँगा? (सोनू कुछ सोचकर
पिंकू के कान छोड़ देता है वो जमीन पर बैठ कर अपने कान जोर से फडफडाता है)
सोनू: (चौंक कर)ऐ..हाँ..ये तो मैंने भी नहीं सोचा था रे
पिंकू..?अच्छा ये बता तू इतनी देर से क्यूँ आया?
पिंकू : महाराज,मैं तो अपने पूरे कुनबे के साथ आ रहा था आपके पास।पर
रास्ते में मुझे एक और शेर मिल गया।उसने कहा इस जंगल का
राजा वो है और उसी बाकी खरगोशों को
खा लिया।
(सोनू उछल कर खड़ा हो जाता है)
सोनू :क्या कहा? जंगल का दूसरा राजा?कहाँ छुपा है वो नीच चल मुझे दिखा पिंकू?
पिंकू :जी महाराज,वो ये भी कह रहा था कि आप नकली राजा हैं असली
राजा तो वो है।
सोनू: (दहाड़ कर)बस बस अब देर मत कर मेरा खून खौल रहा है।मुझे
जल्दी ले चल वहां मैं उसे
मजा चखाता हूँ।
पिंकू: (मुस्कुराकर) चलिए सोनू महाराज चलिए।
(आगे आगे
पिंकू उसके पीछे सोनू वहां से जाते हैं।)
(दृश्य परिवर्तन)
(दृश्य-5)
(जंगल का रास्ता।आगे आगे पिंकू और पिंकू के पीछे पीछे सोनू
गुस्से में जा रहा।)
सोनू: तू मुझे कहाँ ले जा रहा रे पिंकू?
पिंकू :दूसरे शेर के पास महाराज जी।
सोनू:(कुछ सोच कर)कहीं तू मेरे साथ कुछ धोखा तो नहीं करेगा रे?
(पिंकू रुक जाता है।सोनू भी।पिंकू नाचता है।कुछ और जानवर भी
आकर पिंकू के साथ नाचने लगते हैं।पिंकू गता है।)
पिंकू:(गाकर)सोनू... उ... उ... ऊ.. ऊ
महाराज
सोनू.............
आपकी मुझपे कितनी दया है ?
सारे जानवर:(गाते हैं) दया है ...
(सोनू
उनका गाना ध्यान से सुनता है।)
पिंकू: सोनू तू कितना मोटा....
सारे जानवर :मोटा..मोटा..
पिंकू: तेरी अकल भी
है मोटी....
सारे जानवर: मोटी...मोटी...
(सारे जानवर पिंकू
के साथ सोनू को घेर कर उसके चारों और नाचते हैं।) पिंकू: तुझको पसंद बस बोटी....
सारे जानवर: बोटी...बोटी....
(सारे जानवरों के
साथ सोनू शेर भी नाचने लगता है)
पिंकू: बोटी के संग एक
रोटी....
सारे जानवर: रोटी...रोटी....
पिंकू: रोटी है
कितनी गोल गोल...
सारे जानवर: गोल...गोल...
पिंकू: हम सब हैं
तेरे साथी ....
सारे जानवर: साथी ...साथी ....
पिंकू: हाथी भी तेरा
साथी ...
सारे जानवर: साथी ....साथी...
पिंकू: घोड़े को क्यूँ
तूने छोड़ा .....
सारे जानवर : छोड़ा.....छोड़ा....
पिंकू: भालू का हाथ
क्यूँ तोडा ....
सारे जानवर: तोड़ा.....तोडा.....
पिंकू: तू बन्दर को
बोला भगोड़ा....
सारे जानवर: भगोड़ा....भगोड़ा....
पिंकू: तुझको मिलेगी
सजा अब ...
सारे जानवर: सजा अब....
(नाचते नाचते
अचानक सोनू शेर रुक जाता है।पिंकू को घूर कर देखता है।) सोनू: अच्छा..अच्छा...बंद करो तुम लोग
अपना ये नाच गाना।नहीं तो मेरा खौलता खून ठंढा हो जायेगा।फिर उस शेर को मारूँगा
कैसे?पिंकू...फ़ौरन ले चल मुझे उस शेर के पा........स.. ।
(सोनू बहुत जोर
से गुर्राता है फिर अपनी जगह पर उछलता है)
पिंकू: जी....जी....चलिए ....सोनू महाराज चलिए.. ।
(पिंकू के पीछे
पीछे सोनू और सारे जानवर चल पड़ते हैं.. ।)
(दृश्य परिवर्तन)
(दृश्य—6)
(जंगल का किनारा।एक पेड़ के नीचे कुआं।कुँए तक पहुँच कर
पिंकू रुक जाता है।साथ ही सोनू और दूसरे जानवर भी।)
सोनू: (दहाड़ कर) पिंकू कहाँ है वो धूर्त शेर?कहीं तूने धोखा तो
नहीं दिया मुझे?
पिंकू: नहीं महाराज..वो शायद आपको आता देख डर कर इस कुँए में छुप
गया है।आप झाँक कर देखिये
उसमें ।
(सोनू शेर ने
जैसे ही कुँए में झाँका वहां उसे अपनी ही परछाईं नजर आई।सोनू जोर से दहाड़ा।)
पिंकू: सम्हाल कर महाराज...यही है वो धूर्त शेर.. ।
सोनू :(गुस्से में दहाड़कर)तो तू है जंगल का राजा?
कुँए से आती आवाज: तो तू है जंगल का
राजा?
सोनू: हाँ मै हूँ जंगल का असली राजा।
कुँए की आवाज: हाँ मै हूँ जंगल का असली राजा।
सोनू : (गुस्से में) मैं तुझे कच्चा चबा डालूँगा नीच..
कुँए की आवाज: मैं तुझे कच्चा चबा डालूँगा नीच.. ।
सोनू:ठहर जा मैं आ रहा तुझे मजा चखाने.. ।
कुँए की आवाज:ठहर जा मैं आ रहा तुझे मजा चखाने ।
(सोनू गुस्से में
एक बार जोर से दहाड़ कर कुँए में कूद जाता है।दो तीन बार शेर के गुर्राने की तेज
आवाज फिर सब कुछ शांत।पिंकू आगे बढ़ कर कुँए में झांकता है फिर ख़ुशी में चीखता है।)
पिंकू: या...आ...आ...हू....हू...हू.......
(पिंकू
गता है)
मर गया सोनू मर
गया शेर
मर गया देखो सोनू
शेर.... ।
(सारे जानवर भी
पिंकू के साथ नाचते गाते हैं।)
सारे जानवर: मर गया सोनू मर गया शेर.....
मर गया देखो सोनू शेर... ।
पिंकू: नहीं किसी का डर अब हमको
नहीं करेगा कोई
तंग हमको
पीट दो पूरे
जंगल में ढोल
मर गया सोनू मर
गया शेर.... ।
सारे जानवर: पीट दो पूरे जंगल में ये ढोल
मर गया सोनू मर गया शेर.... ।
(सारे जानवर वहां
से शोर मचाते नाचते हुए जाते हैं।)
(दृश्य परिवर्तन)
(दृश्य –7)
(नट नटी नाचते हुए आते हैं।कुछ देर थिरकते हैं फिर गाते हैं।) नट :(गाकर) देखा
बच्चों आप सभी ने
क्या हुआ सोनू शेर का हाल ।
नटी: (गाकर) लालच में पड कर सोनू ने
खुद का कर लिया ऐसा हाल ।
नट नटी: (दोनों एक साथ)
देखा बच्चों आप सभी ने
क्या हुआ सोनू शेर का हाल ।
लालच में
पड कर सोनू ने
खुद का कर लिया ऐसा हाल ।
नट: (गाकर) पर छोटे पिंकू ने बच्चों
कैसी अपनी बुद्धि लगाई ।
नटी: (गाकर) सोनू जैसे महाबली से
जंगल भर को मुक्ति दिलाई ।
नट नटी: (एक साथ)
पर छोटे पिंकू ने बच्चों
कैसी अपनी बुद्धि लगाई ।
सोनू
जैसे महाबली से
जंगल भर को मुक्ति दिलाई ।
नट नटी: (एक साथ)
इसी लिए तुम सब भी बच्चों
एक बात की ले लो सीख ।
सभी मुसीबत बाधाओं को
अपनी बुद्धि से लेना जीत ।
(नट नटी नाचते हुए मंच पर से धीरे धीरे जाते हैं।दृश्य यहीं
धीरे धीरे फेड आउट होता है।)
००००००००
लेखक- डा०हेमन्त कुमार
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (21-04-2019)"सज गई अमराईंयां" (चर्चा अंक-3312) को पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
- अनीता सैनी
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति TOP 5 Super Bass Portable Bluetooth Speaker with Mic
जवाब देंहटाएंबदलते माहौल में कई बार छोटी-छोटी बातें भी बड़ी प्रेरक सी बन जाती हैं। मेरा ब्लॉग कुछ यादों को सहेजने का ही जतन है। अन्य चीजों को भी साझा करता हूं। समय मिलने पर नजर डालिएगा
जवाब देंहटाएंHindi Aajkal
बहुत ही खुबसूरत
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा लिखा है.
Raksha Bandhan Shayari