पिंकी के बिल्ले
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पिंकी के
घर दो थे बिल्ले
दोनों बड़े
चिबिल्ले।
धमा चौकड़ी
सबसे करते
राजू दीपू
टिल्ले।
पिंकी
पढ़ने जैसे बैठे
बगल में
बैठें बिल्ले।
गीत शुरू
करती ज्यों पिंकी
नाचें
दोनों बिल्ले।
इक दिन
पिंकी गयी बाजार
साथ थे
उसके बिल्ले।
आगे आगे
पिंकी चलती
पीछे पीछे
बिल्ले।
पिंकी ने
थी टिक्की खाई
रबड़ी
दोंनों बिल्ले।
पिंकी
रास्ता भूल गयी जब
घर ले आये
बिल्ले।
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डा0हेमन्त
कुमार
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (30-08-2019) को "चार कदम की दूरी" (चर्चा अंक- 3443) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
मज़ेदार!
जवाब देंहटाएंVaah vaah padhne me ati mn mohak balveet
जवाब देंहटाएंNice blog, keep it up
जवाब देंहटाएंAll your graphical need is here
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