जाड़ा
ठंढा ठंढा आया जाड़ा
कोट रजाई लाया जाड़ा
मुनिया गोलू धूप में खेलें
दादी जी को भाया काढ़ा।
आलू गोभी गरम पराठा
नरम साग बजरी का आटा
मटर की घुंघरी और गरम गुड़
कोल्हू का रस लाया जाड़ा।
रात हुई जब ठंढक बढ़ गई
बाबा ने तपनी सुलगाया
घेर के सारे बच्चे बोले
कहो कहानी भागे जाड़ा।
ठंढा ठंढा आया जाड़ा
कोट रजाई लाया जाड़ा।
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डा0हेमन्त कुमार
अद्भुत कविता
जवाब देंहटाएंउत्तर भारत की ठंड को दर्शाती .....और वास्तविकता का एहसास कराती है ' जाड़ा'
Ati sunder
जवाब देंहटाएंवाह, मज़ेदार कविता।☺️☺️☺️
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