शुक्रवार, 13 दिसंबर 2019

जाड़ा


जाड़ा

ठंढा ठंढा आया जाड़ा
कोट रजाई लाया जाड़ा
मुनिया गोलू धूप में खेलें
दादी जी को भाया काढ़ा।

आलू गोभी गरम पराठा
नरम साग बजरी का आटा
मटर की घुंघरी और गरम गुड़
कोल्हू का रस लाया जाड़ा।


रात हुई जब ठंढक बढ़ गई
बाबा ने तपनी सुलगाया
घेर के सारे बच्चे बोले
कहो कहानी भागे जाड़ा।

ठंढा ठंढा आया जाड़ा
कोट रजाई लाया जाड़ा।
00000000000
डा0हेमन्त कुमार

3 टिप्‍पणियां:

  1. अद्भुत कविता
    उत्तर भारत की ठंड को दर्शाती .....और वास्तविकता का एहसास कराती है ' जाड़ा'

    जवाब देंहटाएं
  2. डॉ मोहम्मद अरशद खान13 दिसंबर 2019 को 11:06 am बजे

    वाह, मज़ेदार कविता।☺️☺️☺️

    जवाब देंहटाएं