गर्मी दूर भगाओ ना।
गगरी खाली गांव पियासा
नदिया से ना कोई आशा।
कैसे गायें छम्मक छैयां।
धरती को सरसाओ ना
काले मेघा आओ ना॥
गुस्सा जाते इतना ज्यादा।
कष्टों की ना कोई गिनती
सुनते नहीं हमारी विनती।
कुछ उनको समझाओ ना
काले मेघा आओ ना॥
हमने तुमको भेजी चिट्ठी
खतम करो अब अपनी छुट्टी।
जल्दी से जल्दी तुम आना
आने की तारीख बताना।
मस्ती के दिन लाओ ना
काले मेघा आओ ना॥
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कवि-कौशल पांडेय
हिन्दी अधिकारी
आकाशवाणी,पुणे(महाराष्ट्र)
समसामयिक और एक सन्दर संदेश देती रचना।
जवाब देंहटाएंसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
sundar baalgeet
जवाब देंहटाएंकौशल पांडेय जी की बढ़िया रचना पढ़वाने का आभार.
जवाब देंहटाएंमैं तो इसे गुनगुना रही हूँ..कित्ता प्यारा गीत है..बधाई.
जवाब देंहटाएंinteresting blog, i will visit ur blog very often, hope u go for this site
जवाब देंहटाएंto increase visitor.Happy Blogging!!!
मनभावन होने के कारण
जवाब देंहटाएं"सरस पायस" पर हुई "सरस चर्चा" में
इन्हें देख मन गाने लगता!
शीर्षक के अंतर्गत
इस पोस्ट की चर्चा की गई है!
सामयिक पुकार है ,अब तो बारिश होने भी लगी है ।
जवाब देंहटाएंbehad sunder geet
जवाब देंहटाएंकाले मेघा आ गए ....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर है आपकी कविता!
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New post : fathers day card and cow boy
BAHUT SUNDAR RACHNA HAI...BAHUT BAHUT BADHAI...
जवाब देंहटाएंbahut hi manmohak laga yah balgeet.dekhiye megha ko akhir aana hi pada.
जवाब देंहटाएंpoonam
बहुत सुन्दर प्रस्तुति। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबहुत ही ख़ूबसूरत और मनभावक बालगीत! उम्दा पोस्ट!
जवाब देंहटाएंअरसे बाद कौशल पांडे जी की रचना पढ़ी। आपका आभार।
जवाब देंहटाएंHappy Monday!
जवाब देंहटाएंThanks for the encouragement and comments.
बहुत ही प्यारी कविता है सर.
जवाब देंहटाएंसादर
वाह ...बेहतरीन शब्द रचना ।
जवाब देंहटाएंbahut sunder rachna ...abhar..
जवाब देंहटाएंअद्भुत गीत रचना.वाह!!!
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी कविता है, सर।
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी कविता.....wah
जवाब देंहटाएंwah..
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