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सोमवार, 1 सितंबर 2014

घायल हुये शिकारी


जंगल  में जैसे ही पहुंचे,
मोटे कई शिकारी,
सभी जानवर भागे फ़ौरन
आया संकट भारी।

कोई भागा गुफ़ा में अपनी
कोई नदी में कूदा
पर भालू सियार ने मिलकर
तरकीब निकाली न्यारी।

दोनों ने पत्थर फ़ेंके फ़िर
मधु मक्खी के छ्त्तों में
भन भन करती टूट पड़ीं सब
जिधर  छुपे थे शिकारी।


कुछ के चेहरों पर था काटा
किसी के डंक चुभोया
चीख चीख कर वापस भागे
घायल सभी शिकारी।
0000
हेमन्त कुमार

शनिवार, 31 मई 2014

टूटा सिंहराज का वादा

सिंहराज ने खबर सुनी जब
शाकाहारी जीते ज्यादा
चिंता हुयी उन्हें फ़िर भारी
क्या मेरी बस उमर है आधा।

शाकाहारी बनूं अगर तो
मार्ग में आयें ढेरों बाधा
कौन लाएगा भोजन मेरा
घट के वजन भी होगा आधा।

बुला के जंगल के जीवों को
किया तुरत उनसे इक वादा
मांस नहीं खाऊंगा अब मैं
फ़लाहार बस करूंगा सादा।

बैठ गुफ़ा के बाहर अपनी
सोच रहा क्या खाऊं सादा
खरगोश देख के लालच आयी
तोड़ दिया फ़िर अपना वादा।
000

डा0हेमन्त कुमार

सोमवार, 27 मई 2013

उफ़्फ़ ये गर्मी----।


सूरज ने बरसायी आग
सूख गये सब ताल-तालाब
पेड़-पौधे मुरझाए सारे
सूख गये फ़ूलों के बाग।

पानी का पड़ गया अकाल
दुनिया में हो रहा बवाल
चहूं ओर सूरज का राज
कहां छिप गये मेघराज।

नदियां सारी सूख गयीं
क्यों वर्षा रानी रूठ गयीं
बच्चे बूढ़े सब हैरान
सूरज की बढ़ रही है शान।

सूरज दादा अब रुक जाओ
इतनी आग ना अब बरसाओ
इस गर्मी को अब ना बढ़ाओ
प्यासों को ना अब तड़पाओ।

मांग रही मै माफ़ी तुमसे
पूरे जग की ओर से
जगह जगह पे वृक्षारोपण
करेंगे पूरे जोर से।

00000


नित्या शेफ़ाली
कक्षा-10-सी,सेण्ट डोमिनिक सेविओ कालेज
इन्दिरानगर,लखनऊ--226016

रविवार, 17 अक्टूबर 2010

रिक्शा

ट्रिन ट्रिन करके
घण्टी बजाता
तीन पहियों से
चलता जाता
मैं हूं रिक्शा
मैं हूं रिक्शा ।

अम्मा बाबू
दादा दादी
मुन्ना मुन्नी
बड़की छुटकी
सबको मैं हूं
सैर कराता
मैं हूं रिक्शा
मैं हूं रिक्शा ।

पतली गलियां
चौड़ी सड़कें
सब पर मैं तो
चलता जाता
जहां न पहुंचे
मोटर गाड़ी
वहां भी मैं
सबको पहुंचाता ।

मैं हूं रिक्शा
मैं हूं रिक्शा ।
******
हेमन्त कुमार

गुरुवार, 17 जून 2010

काले मेघा आओ ना



काले मेघा आओ ना

गर्मी दूर भगाओ ना।



गगरी खाली गांव पियासा

नदिया से ना कोई आशा।

सूख गये सब ताल तलैया

कैसे गायें छम्मक छैयां।

धरती को सरसाओ ना

काले मेघा आओ ना॥



सुबह सुबह ही सूरज दादा

गुस्सा जाते इतना ज्यादा।

कष्टों की ना कोई गिनती

सुनते नहीं हमारी विनती।

कुछ उनको समझाओ ना

काले मेघा आओ ना॥



हमने तुमको भेजी चिट्ठी

खतम करो अब अपनी छुट्टी।

जल्दी से जल्दी तुम आना

आने की तारीख बताना।

मस्ती के दिन लाओ ना

काले मेघा आओ ना॥

000

कवि-कौशल पांडेय

हिन्दी अधिकारी

आकाशवाणी,पुणे(महाराष्ट्र)













शनिवार, 20 मार्च 2010

मेरी प्यारी गौरैया

रोज सुबह आती गौरैया

गीत नये गाती गौरैया

उठ जाओ तुम नित्या रानी

कह के मुझे जगाती गौरैया।


चीं चीं चूं चूं मीठी बोली

दाना मांग रही गौरैया

अम्मा जल्दी दे दो चावल

भूखी है प्यारी गौरैया।


पंख छपक कर पानी में तो

रोज नहाती है गौरैया

चोंच रगड़कर पेड़ की डाली

चावल चुनती ये गौरैया।


झूला झूलूं बाग में जब भी

चुपके से आती गौरैया

उड़ उड़ मेरे चारों ओर

खुशी से इतराती गौरैया।
000
कवियत्री:नित्या शेफ़ाली

रविवार, 22 मार्च 2009

बाल गीत -मेरी नानी








मेरी छोटी बेटी नित्या शेफाली का बाल गीत ........




मेरी नानी
मेरी नानी बड़ी हैं ज्ञानी
रोज सुनाती नयी कहानी
वह हम बच्चों से घिर जातीं
जब घिर आती शाम सुहानी।

हम बच्चों के कहने पर
देश प्रेम की कथा सुनातीं
वीर शिवा की अमर कथा से
हम बच्चों को वीर बनातीं।

भालू बन्दर तोता मैना
परी कथा नित नई नई
दूर देश के राजा मंत्री
सबसे हमको हैं मिलवाती।

गांधी नेहरू और भगत सिंह
रानी लक्ष्मी के बचपन की
हरिश्चंद्र के सत्य प्रेम की
अमर कथाएँ हमें सुनातीं।

मेरी नानी बड़ी हैं ज्ञानी
रोज सुनाती नई कहानी।
०००००००

हेमंत कुमार द्वारा प्रकाशित

सोमवार, 23 फ़रवरी 2009

कौवे का स्कूल


कौवे ने इक पेड़ के नीचे
खोल लिया स्कूल
पहले दिन ही सभी जानवर
बस्ते आए भूल ।


गुस्साए कौवे ने फ़ौरन
उठा लिया बस रूल
लगा पीटने सबको जैसे
झाड़ रहा हो धूल।

भागे भागे सभी जानवर
पहुंचे शेर के पास
शेर ने डाटा जब कौवे को
फेंका उसने अपना रूल।
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हेमंत कुमार