रोज सुबह आती गौरैया
गीत नये गाती गौरैया
उठ जाओ तुम नित्या रानी
कह के मुझे जगाती गौरैया।
चीं चीं चूं चूं मीठी बोली
दाना मांग रही गौरैया
अम्मा जल्दी दे दो चावल
भूखी है प्यारी गौरैया।
पंख छपक कर पानी में तो
रोज नहाती है गौरैया
चोंच रगड़कर पेड़ की डाली
चावल चुनती ये गौरैया।
झूला झूलूं बाग में जब भी
चुपके से आती गौरैया
उड़ उड़ मेरे चारों ओर
खुशी से इतराती गौरैया।
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कवियत्री:नित्या शेफ़ाली
bahut behatrin maja aa gaya padhkar
जवाब देंहटाएंविश्व गौरैया दिवस पर नित्या शेफाली जी ने
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बाल कविता लिखी है!
बहुत बहुत शुभाशीष!
नन्हें सुमन पर भी आपको
जवाब देंहटाएंबाल कविताएँ पढ़ने को अवश्य मिलेंगी!
http://nicenice-nice.blogspot.com/
अब गौरैया नहीं आयेगी....मैंने मना कर दिया है......
जवाब देंहटाएं...........................
विश्व गौरैया दिवस-- गौरैया...तुम मत आना..(कविता)
http://laddoospeaks.blogspot.com/2010/03/blog-post_20.html
बढ़िया है...
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पाखी की दुनिया में देखें-"मेरी नन्हीं गौरैया"
गौरैया बहुत ही प्यारी पंछी है और मुझे बेहद पसंद है! आपने बेहद ख़ूबसूरत और मनमोहक रचना लिखा है जो प्रशंग्सनीय है! बधाई!
जवाब देंहटाएंसुन्दर सलोनी कविता का आभार ।
जवाब देंहटाएंbahut hi badhiya likhti ho nitya,aise hi aage badhati raho,shubh aashishh.
जवाब देंहटाएंनित्या आपकी कविता भी नन्ही-मुन्नी चींचीं करती गौरैया जितनी प्यारी और कोमल है । शुभाशीष....सीमा सचदेव
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना....."
जवाब देंहटाएंआज तो नित्या की मुस्कान बहुत सुंदर लग रही है!
जवाब देंहटाएंज़रा देखो तो सही -
मुस्कानों की सुंदर झाँकी
में यह क्या कर रही है?
चर्चा मंच पर आपका जिक्र रावेंद्रकुमार रवि ने किया है( २९ मार्च २०१०) , बस आपके ब्लॉग पर आया , अच्छा लगा , मुझसे दोस्ती करेंगे
जवाब देंहटाएंवैसे गौरैयाँ अब कम ही दिख रही है , आपकी कविता से शायद फर्क पड़े
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