ट्रिन ट्रिन करके
घण्टी बजाता
तीन पहियों से
चलता जाता
मैं हूं रिक्शा
मैं हूं रिक्शा ।
अम्मा बाबू
दादा दादी
मुन्ना मुन्नी
बड़की छुटकी
सबको मैं हूं
सैर कराता
मैं हूं रिक्शा
मैं हूं रिक्शा ।
पतली गलियां
चौड़ी सड़कें
सब पर मैं तो
चलता जाता
जहां न पहुंचे
मोटर गाड़ी
वहां भी मैं
सबको पहुंचाता ।
मैं हूं रिक्शा
मैं हूं रिक्शा ।
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हेमन्त कुमार
बहुत सुंदर बाल गीत ,बधाई
जवाब देंहटाएंरिक्शा पर कितनी सुंदर कविता... बहुत अच्छी ...
जवाब देंहटाएंसुंदर बाल गीत
जवाब देंहटाएंहेमंत जी आपका प्रयास देखकर अच्छा लगा। शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंlove the image,
जवाब देंहटाएंkeep shining.
अले वाह, अब तो मेरा मन रिक्शे पर घूमने का कर रहा है...
जवाब देंहटाएं______________________
'पाखी की दुनिया' में पाखी की इक और ड्राइंग...
बहुत ही सुन्दर कविता है!
जवाब देंहटाएं--
चित्र बहुत ही बढिया हैं!
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आपकी पोस्ट को बाल चर्चा मंच में लिया गया है!
http://mayankkhatima.blogspot.com/2010/10/24.html
बहुत ही सुन्दर कविता है!
जवाब देंहटाएंविज्ञान गतिविधीयाँ नई पोस्ट मैजिक नहीं ट्रिक है ये
क्यों और कैसे विज्ञान मे नई पोस्ट
achchi bal kavita.
जवाब देंहटाएंआप को सपरिवार दीपावली मंगलमय एवं शुभ हो!
जवाब देंहटाएंमैं आपके -शारीरिक स्वास्थ्य तथा खुशहाली की कामना करता हूँ
Bal man ke bhaon ki sundar prastuti.Kavita achhi lagi.Good morning.
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जवाब देंहटाएंदुनिया के सभी बच्चों को
मेरी तरफ से बहुत-बहुत प्यार!
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बहुत प्यारी कविता है ...
जवाब देंहटाएंआप मेरे ब्लॉग पर पधारे उसके लिए धन्यवाद ...
शोभनम्
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर कविता.बधाई.नव वर्ष की शुभकामनाएँ.
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