ठक ठक,ठन ठन
कर रहे लोहार काका
लोहे के बर्तन खिलौने
बना रहे लोहार काका।
ठक ठक,ठन ठन-----।
टूटी खुरपी हो या कुदाल,
टूटे बर्तन हल का फ़ाल,
सबको ठोंक पीट कर भैया,
ठीक बनाते लोहार काका।
ठक ठक,ठन ठन-------।
भट्ठी की गर्मी भी सहते,
हरदम मेहनत करते रहते,
हम सबको तो प्यारे लगते,
मेहनत करते लोहार काका।
ठक ठक,ठन ठन
कर रहे लोहार काका।
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हेमन्त कुमार
hemant ji bahut sundar kavita rachi hai .badhai .
जवाब देंहटाएंसुंदर कविता
जवाब देंहटाएंबच्चों के इस ब्लॉग पर आना सुखद लगा
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