सोमवार, 28 मार्च 2011

लोहार काका

ठक ठक,ठन ठन
कर रहे लोहार काका
लोहे के बर्तन खिलौने
बना रहे लोहार काका।
ठक ठक,ठन ठन-----।

टूटी खुरपी हो या कुदाल,
टूटे बर्तन हल का फ़ाल,
सबको ठोंक पीट कर भैया,
ठीक बनाते लोहार काका।
ठक ठक,ठन ठन-------।

भट्ठी की गर्मी भी सहते,
हरदम मेहनत करते रहते,
हम सबको तो प्यारे लगते,
मेहनत करते लोहार काका।

ठक ठक,ठन ठन
कर रहे लोहार काका।
0000
हेमन्त कुमार


मंगलवार, 15 मार्च 2011

मेरी गाय

सीधी सादी गाय
सुन्दर प्यारी गाय
मेरे दरवाजे पर देखो
बंधी हुई है गाय।

रोज सुबह उठते ही
मुझसे चारा मांगे
हरी घास और भूंसा
खाती मेरी गाय।

दूध दही मक्खन तो
इतना मुझे खिलाती
पर कभी न मुझसे रूठे
मेरी प्यारी गाय।

सीधी सादी गाय
सुन्दर प्यारी गाय।
****
हेमन्त कुमार