रविवार, 8 फ़रवरी 2009

मंत्री बन्दर मस्त कलंदर

शेर को एक नए गृह मंत्री की खोज थी। उसने सोचा किसे मंत्री बनाऊ । चीता को…वह चालक तो था पर गुस्सैल बहुत था,हाथी ठहरा आलसी। सियार तो पक्का चोर था। आखिर किसे बनाये मंत्री..?
एक दिन बैठे बैठे शेर को उपाय सूझ गया। उसने कुत्ते को बुलवाया। उससे बोला —“जंगल में डुगडुगी पीट दो। अगले हफ्ते सारे जानवर जंगल के बीच इकट्ठे हों। वहां एक खेल होगा। पेडों के बीच एक घडा लटका रहेगा। जो बिना पेड़ पर चढ़े सबसे ऊंचा कूदकर घडा फोड़ेगा। वही मेरा गृह मंत्री बनेगा।”
अगले दिन सारे जानवर जुट गए। कोई दूर तक दौड़ कर कूदता। कोई ऊंचे पेड़ पर से कूदने का अभ्यास करने लगा। जंगली मुर्गे और तीतर भी अभ्यास में जुट गए.
अब भला पानी वाले जीव पीछे कैसे रहते?मछलियाँ पानी से सर निकाल कर ऊपर उछलने लगीं। कछुए चट्टानों पर से पानी में कूदने लगे।
कुछ जानवरों ने अपना खाना बढ़ा दिया। जिससे उनमें ताकत आए। वे ऊँचा कूद सकें। पूरे जंगल में बस एक जानवर चुप था। वह था बन्दर। वह पेड़ की ऊंची टहनी पर बैठा रहता। चुपचाप तमाशा देखता। कोई पूछता तो कहता, “मैं तो बन्दर मस्त कलंदर उछलूँ कूदूं डाल डाल पर।” जानवर हैरान हो उसे देखते। वह खी खी करके हंस देता।
धीरे धीरे खेल का दिन आ गया। सबेरे से ही जंगल के बीच वाले मैदान में जानवर आने लगे। सब एक से एक कपडे पहने हुए। तरह तरह के जूते पहने हुए। किसी किसी ने टोपी भी पहन रखी थी। पर अपना बन्दर एकदम सादे कपडों में आया। उसके हाथ में एक पतला बांस था। चीते ने देखा तो कहा, “बांस से घड़ा फोड़ोगे…शेर तुम्हें खा जाएगा।” बन्दर ने कहा, “मैं हूँ बन्दर मस्त कलंदर।” और हंस पड़ा दांत निकल कर।
अंत में शेर आया। खेल शुरू हुआ। दो पेडों के बीच एक घड़ा टंगा था। पहले चीता आगे आया। दूर से दौड़ा…..उछला पर भद्द से गिरा जमीन पर। सारे जानवर हंस पड़े।
सियार आया। वह जोर से हुआ हुआ चिल्लाया और कूदा। पर वह घडे तक नहीं पहुँचा। सारे जानवरों के साथ शेर भी हंस पड़ा।
मुर्गा और तीतर पेड़ पर चढ़ गए। छलांग लगाई। पर घडे तक आने से पहले नीचे गिर गए। मुर्गे की एक टांग टूटी । तीतर के पंख गिरे। शेर ने सोचा लगता है मुझे मंत्री नहीं मिलेगा। तभी बन्दर पतला बांस ले कर उठा। शेर ने डाटा , “बांस से घड़ा मत फोड़ना।”
बन्दर ने कहा, “मैं हूँ बन्दर मस्त कलंदर।” उसने बांस जमीन पर रखा। उसे हलका सा झटका दिया। अगले पल वह घडे के पास । उसने बांस छोड़ा। घड़ा फोड़ा। और रस्सी पकड़ कर लटक गया।
शेर बोला,“शाबाश….बन्दर शाबाश। तू बुद्धिमान है। मेरा मंत्री बन जा।” सारे जानवर तालियाँ बजाने लगे।
बन्दर रस्सी से लटक कर नीचे आया। शेर के आगे हाथ जोड़ कर खड़ा हो गया। शेर ने उसे माला पहनाई,फ़िर बोला----

ये था बन्दर मस्त कलंदर
घूमा करता डाल डाल पर
पर अब मेरे साथ रहेगा
मेरा प्यारा मंत्री बनकर।
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हेमंत कुमार

2 टिप्‍पणियां:

  1. ये था बन्दर मस्त कलंदर
    घूमा करता डाल डाल पर
    पर अब मेरे साथ रहेगा
    मेरा प्यारा मंत्री बन
    badhiya rachana. badhaai
    प्रहार: अपने गमो की दास्ताँ हम किसको सुनाये दिल ए जाना.

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  2. बच्चों को पसंद आने वाले अंदाज में लिखी गई सुंदर रचना.

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