शुक्रवार, 20 फ़रवरी 2009

हवा चली


वा चली भई हवा चली
सर सर सर सर हवा चली
फर फर फर फर हवा चली।

धूम मचाती हवा चली
रंग उड़ाती हवा चली
खुशियाँ ले कर हवा चली
बांसों के झुरमुट से भइया
गीत सुनाती हवा चली।
हवा चली………………।




पतंग उड़ाती हवा चली
गुब्बारे ले हवा चली
पंखे झलती हवा चली
फूलों से खुशबू ले करके
उसे बाँटने हवा चली।

हवा चली भई हवा चली
सर सर सर सर हवा चली
फर फर फर फर हवा चली.
***************
हेमंत कुमार

3 टिप्‍पणियां:

  1. कानों में गुदगुदी मचाकर
    हमें हँसाती चली हवा!

    बालों में सुरसुरी चलाकर
    हमें रिझाती चली हवा!

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  2. हेमंतजी ने दाईं ओर बच्चों की तस्वीर के नीचे जो बॉक्स लगा रखा है, उसमें रोमन लिपि में लिखकर स्पेस बार दबाने पर शब्द देवनागरी लिपि में बदल जाते हैं।

    पूरा संदेश वहाँ टाइप करने के बाद उसे कॉपी करके यहाँ कमेंट बॉक्स में पेस्ट करके पोस्ट किया जाना चाहिए।

    जवाब देंहटाएं