मंगलवार, 20 अक्तूबर 2009

मछली रानी


छम छम बहता देखो पानी
उसमें तैरे मछली रानी।

कभी भाग कर जाती नीचे
कभी झांकती है ये ऊपर
मुंह में अपने भरकर पानी
खेल दिखाती मछली रानी।

चाहे हो नदिया का पानी
या हो समन्दर गहरा पानी
सभी जगह पर रह लेती है
अपनी प्यारी मछली रानी।

नीली पीली या सतरंगी
जल जीवों की है यह संगी
बिन पानी के रह ना पाती
सुन्दर प्यारी मछली रानी।

छम छम बहता देखो पानी
उसमें तैरे मछली रानी
०००
हेमन्त कुमार



शुक्रवार, 16 अक्तूबर 2009

दीवाली


दिया रोशनी खील बताशा
फ़सलों से महका परिवेश
नहीं पटाखे आतिशबाजी
दीवाली का यह संदेश।

दीपों के इस नव प्रकाश में
नए विश्व की करो कल्पना
हरी भरी होवे यह धरती
सात रंगों की लगे अल्पना।

नई तरंगें नई उमंगें
नव आशा नूतन संकल्प
खोजेंगे हम नई दिशायें
नये सृजन के नये विकल्प।

शीतल मंद हवायें आकर
धरती को दुलरायेंगी
बोली एक प्रेम की बोलो
सबसे कहकर जायेंगी।
000
कवि: कौशल पाण्डेय
हिन्दी अधिकारी
आकाशवाणी,शिवाजीनगर
पुणे
मोबाइल न0- 09823198116

(श्री कौशल पाण्डेय हिन्दी के प्रतिष्ठित बाल साहित्यकार हैं।बाल नाटकों,कहानियों,गीतों के साथ ही आपकी बड़ों के लिये भी अब तक कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। वर्तमान समय में आप आकाशवाणी के पुणे केन्द्र पर हिन्दी अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं।)
हेमंत कुमार द्वारा प्रकाशित

शनिवार, 10 अक्तूबर 2009

जी करता जोकर बन जाऊं




जोकर मुझे बना दो जी
मोटी तोंद लगा दो जी।

नाक गाल को खूब सजाकर
गोल गोल गेंदें चिपकाकर
बन्दर जैसे दांत दिखाकर
रोतों को भी खूब हंसाकर।

हंसा हंसा कर आंसू लाऊं
जी करता जोकर बन जाऊं

जोकर मुझे बना दो जी
मोटी तोंद लगा दो जी।


तरह तरह के खेल दिखाकर
उल्टा सीधा मुंह बना कर
कानों में चप्पल लटकाकर
छोटी सी एक पूंछ लगाकर

बच्चों का टट्टू बन जाऊं
जी करता जोकर बन जाऊं।

जोकर मुझे बना दो जी
मोटी तोंद लगा दो जी।
***
कवि :दिविक रमेशश्री दिविक रमेश हिन्दी साहित्य के प्रतिष्ठित कथाकार,कवि,एवम बालसाहित्यकार हैं।
आपकी अब तक कविता,आलोचनात्मक निबन्धों,बाल कहानियों,बालगीतों की 50 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।तथा आप कई राष्ट्रीय एवम अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किये जा चुके हैं।वर्तमान समय में आप दिल्ली युनिवर्सिटी से सम्बद्ध मोती लाल नेहरू कालेज में प्राचार्य पद पर कार्यरत हैं ।(हेमन्त कुमार द्वारा प्रकाशित)।

रविवार, 4 अक्तूबर 2009

अमरूद


गोले गोले
मीठे मीठे
पीले रंग के ये अमरूद।

पीले रंग पे
लाल बिन्दियों
वाले ये सुन्दर अमरूद ।

घर के पीछे
बाग में मेरे
खूब फ़ले देखो अमरूद।

तोता मैना
चिड़िया आकर
रोज सुबह खातीं अमरूद।

मेरा मिट्ठू
रोज सबेरे
मुझसे मांगे है अमरूद।

अम्मा बाबू
दादा दादी
सब खाते मीठे अमरूद।

गोले गोले
मीठे मीठे
पीले रंग के ये अमरूद।
*****
हेमन्त कुमार