घूम घूम कर पेड़ों पर ही
ठक ठक करता मैं कठफ़ोड़वा।
चोंच मेरी है बहुत ही लम्बी
बहुत ही लम्बी बहुत ही पैनी
मोटी से मोटी लकड़ी को
काटे जैसे लुहार की छेनी।
रंग मेरा है गाढ़ा भूरा
उस पर काली भूरी धारी
पर उससे भी अच्छी लगती
मेरे सिर पर कलगी प्यारी।
घूम घूम कर पेड़ों पर ही
ठक ठक करता मैं कठफ़ोड़वा।
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हेमन्त कुमार
घूम घूम कर पेड़ों पर ही
जवाब देंहटाएंठक ठक करता मैं कठफ़ोड़वा।
बहुत सुन्दर बालगीत
लुभावना
बहुत अच्छा बाल गीत।
जवाब देंहटाएंअच्छा है।
जवाब देंहटाएंबिल्कुल बच्चा है कठफोडवा ॰
जवाब देंहटाएंए कठफोड़वा , तू तो बचपन लेकर आया है--- ठक ठक
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंकठफोड़वे पर रची गई एक बढ़िया कविता!
जवाब देंहटाएं--
लैपटॉप, रंग-रँगीला,
प्यारे-प्यारे, मस्त नज़ारे!
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संपादक : सरस पायस
चर्चा मंच पर
जवाब देंहटाएंमहक उठा मन
शीर्षक के अंतर्गत
इस पोस्ट की चर्चा की गई है!
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संपादक : सरस पायस
चर्चा मंच में मिली चर्चा से यहाँ आया , अच्छा लगा , बच्चो से आपका प्यार जानकार , आपका ब्लॉग अब मेरा पसंदीदा ब्लॉग में से एक बन गया है
जवाब देंहटाएंमनोहर बाल कविता भी और कठ फोड़वा पक्षी वाबत जानकारी भी
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